आईआईटी का सपना टूटने के बाद, शिक्षा क्षेत्र में मिथिलेश ने क्यों रखी आराध्या इंटरनेशनल स्कूल की नींव – मिथिलेश जाट

शिक्षा का क्षेत्र ऐसा है, जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सब अपने सपनों की तरफ चल देते हैं, पर कुछ लोग अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि के लिए कुछ करने का मन बना लेते हैं, और उसे ही अपना भावी सपना बना कर पूरा करने के लिए लग जाते हैं।

हम चर्चा कर रहे हैं, युवा मिथिलेश जाट जी की।

जिन्होनें अपने लिए सपने कुछ ओर देखे थे, पर कुछ स्थितियों को देखने के बाद अपने गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का फैसला कर लिया और दिन-रात मेहनत कर उस सपने को साकार रुप दे दिया।

मिथिलेश जाट जिनका जन्म 6 सितंबर सन् 1987 को (मूंजाखेडी) नरवर उज्जैन में हुआ। इनके पिताजी खेती और किसानी से जुड़े रहे, तो परिवार में किसी का शिक्षा से इतना जुड़ाव नहीं था। 

पर इनका लगाव शुरु से ही पढ़ाई के प्रति रहा। प्रारंभिक शिक्षा इनकी गांव के ही सरकारी विद्यालय से पढ़कर हुई।

मिथिलेश का सपना बचपन से साॅफ़्टवेयर इंजीनियर बनने का था। 

जिसके लिए इन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) रुड़की से पढ़ाई करने का मन बनाया। उसके लिए इन्होंने जी-जान लगाकर मेहनत भी की, पर मेरिट लिस्ट में कुछ नंबर कम होने की वजह से इनका चयन नहीं हो पाया।

कमी यह थी कि, ग्रामीण क्षेत्र से होने की वजह से शिक्षा और वह परिवेश नहीं मिल पाया तथा शिक्षा की वैसी पृष्ठभूमि तैयार नहीं थी, कि उनका चयन देश के इतने बड़े संस्थान में हो सके। इसका कारण कहीं ना कहीं अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई ना होना भी था। 

मन में कहीं ना कहीं ग्लानि थी, कि काश उनको अच्छा शिक्षा का स्तर मिला होता, जिससे वो सपना पूरा कर सकते। बाद में इन्होंने उज्जैन के निजी काॅलेज से ग्रेजुएशन(बीसीए) किया। 

पर इन्हें लगता था, कि जो परेशानी शिक्षा को लेकर इन्होंने देखी है, वो गाँव का कोई ओर बच्चा ना देखे। 

सब अपने सपनों को पंख दे सके, सबको उड़ान मिल सके। तब से इनके मन में गांव के लिए कुछ करने का प्रयास लगातार बना रहता था। 

कुछ साल बाद ग्रेजुएशन पूरा होते ही इनकी नौकरी एक बैंक में लग गई, और लगभग एक साल तक नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़कर पोस्ट ग्रेजुएशन में (एमसीए) करने का सोच लिया था। ये स्वयं उच्च शिक्षा प्राप्त कर गांव के लिए कुछ करने का मन बना चुके थे। 

गांव में जब बच्चों को पढ़ने के लिए शहर जाते हुए देखते थे तो उन्हें परेशान होता देखकर, इन्हें अक्सर विचार आता था कि, क्यों ना अपने गांव व आसपास के क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ करना चाहिये।

यहीं विचार इन्होनें अपने पिताजी के समक्ष प्रस्तुत किए, तब इनके पिताजी ने भी खुशी-खुशी हामी भर दी। 

और फिर इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन पूर्ण होते ही किसी बड़ी कम्पनी में ना जाते हुए  शिक्षा के क्षेत्र में जाने का मन बना लिया। परिवार वालों ने इनके इस फैसले का सम्मान किया, ओर बराबरी से साथ दिया। 

इनके पिताजी श्रीमान प्रभुलाल जी जाट ने इन्हें हमेशा सीखाया है, कि उतार-चढ़ाव तो जीवन का एक हिस्सा है, जो परेशानी तुमने देखी है, कोशिश करना कि वो किसी ओर को ना देखना पड़े। आज के जमाने में शिक्षा दान से ज्यादा और कुछ महत्वपूर्ण नहीं है, तुम्हारी वजह से यदि किसी को शिक्षा प्राप्त हो रही है, तो तुम पर परमात्मा की कृपा है।

और सन् 2013 में इन्होंने शिक्षा जगत में आराध्या इंटरनेशनल स्कूल की नींव रखी। स्कूल का नाम इन्होंने अपनी बेटी आराध्या के नाम पर रखा ताकि लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जा सके, तथा इन्हें सकारात्मक परिवर्तन की उर्जा मिलती रहे। तब विद्यालय 8वीं तक था, और MP बोर्ड से मान्यता प्राप्त कर सफलतापूर्वक संचालित हो रहा था। 

पर मिथिलेश चाहते थे, कि बच्चों को काॅन्वेंट एजुकेशन मिलना चाहिए, जिस इंग्लिश मीडियम  की वजह से इनका आईआईटी करने का सपना अधूरा रह गया था और पूरा नहीं हो पाया था। 

वैसे ही किसी ओर बच्चे का सपना नहीं टूटे। फिर वे जुट गए, आराध्या इंटरनेशनल स्कूल को सीबीएससी और आईएसओ-9001 की मान्यता प्राप्त करवाने के लिए। ये कोशिशें भी रंग लाने लगी। 

दिन-रात की मेहनत के बाद सन् 2015 आते-आते स्कूल ने सीबीएससी और आईएसओ-9001 की मान्यताओं को प्राप्त कर लिया। और स्कूल 12वीं तक सभी विषयों में संचालित होने लगा।

लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था को विशेष ध्यान में रखकर विद्यालय में ही उनके लिए अन्य व्यवस्था भी करवाने के लिए जुट गए। बच्चों को परेशानी ना हो इसलिए शुरुआत से ही इन्होनें स्कूल बसों, व स्कूली परिवहनों का विशेष ध्यान रखा। 

मिथिलेश का सपना अब साकार हो रहा है, अब तक बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में बहुत सहयोग होने लगा है। 

कुछ बच्चें जो पढ़ाई करना चाहते हैं, पर आर्थिक स्थिती ठीक ना होने की वजह से नहीं पढ़ पाते हैं, उनके लिए वे निःशुल्क शिक्षा भी उपलब्ध करवाते हैं। 

वे बच्चों को उच्च शिक्षा देने व कुछ नया सीखने का प्रयास सदैव करते रहते हैं, ताकि पढ़ने के बाद बच्चों को रोजगार के लिए परेशान ना होना पडे़। 

जो ग्लानि इनके मन में रही, कि ग्रामीण परिवेश की वजह से अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए, यह ग्लानि अब किसी ओर बच्चे को ना हो। 

मिथिलेश बताते हैं, 

सीबीएससी से शिक्षा ना होने के बावजूद सीबीएससी स्कूल को संचालित करना शुरुआती दौर में मुश्किल रहा, शिक्षा का क्षेत्र उनके लिए नया था, शिक्षा जगत की कोई इतनी विशेष जानकारी नहीं थी। 

स्कूल संचालित करने का कोई अनुभव नहीं था, पर काम सीखते रहे और काम करते रहे। हर चीज की बारीकियों पर विशेष ध्यान दिया और उसे समझा, तथा प्रस्तुत करना सीखा आज भी  सीखना सतत जारी है। 

किस तरह नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदला जा सके यह जरूरी होता है। बिना सीखे कभी कुछ संभव नहीं हो सकता है, जितना सीखेंगे उतना ही कार्य को बेहतरीन तरीके से कर पाएंगे। स्कूल संचालन के दौरान ही कई परिस्थितियों से लड़े पर हिम्मत नहीं हारी, और आज भी हर स्थिती के लिए तैयार रहते हैं। बच्चों की उच्च शिक्षा ही इनका मकसद होता है। जिसके लिए ये सदैव प्रयासरत भी रहते हैं।

इनकी मेहनत का ही परिणाम है, कि आराध्या इंटरनेशनल स्कूल आज शिक्षा जगत में एक सफल ओर शिक्षा की विश्वसनीय संस्था के रुप में स्थापित हो रहा है। 

सन् 2020 में आराध्या इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर श्री मिथिलेश जाट जी को महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास के लिए अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

आराध्या इंटरनेशनल स्कूल हमेशा विद्यार्थियों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहता है।

Ashwin Khatri
Ashwin Khatri has laid the foundation of the platform named "Apni Pehchaan", Ashwin has tied himself with the society for many years in the role of social worker at his level. After doing MSc from Udaipur University, he is starting his identity with the aim of giving a new direction to the society. Ashwin Khatri has resolved to nurture the hidden talents, professions behind the scenes of the society and take them all along in future. Contact Mail - ashwinkhatri@apnipehchaan.com

More from author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related posts

Latest posts

भेल से नया स्वाद बनाते – मिस्टर भेल भंडारी

हमारा मालवा क्षेत्र, हमारे मध्यप्रदेश का इंदौर शहर जिसे खाने पीने के लिए भी जाना जाता है वहीं एक ऐसा प्रतिष्ठान भी है जिनकी...

इंदौर में मराठी व्यंजन के लिए प्रसिद्ध पूर्णिमा, अब मास्टरशेफ बनने का सपना है। – पूर्णिमा राव

नमस्ते,  आज हमारी टीम "अपनी पहचान" आपकी मुलाकात एक ऐसी शख्सियत से करवाने जा रही है। जिन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत सिर्फ शौक में ही...

मालवी भाषा ओर उसकी मीठास ही मेरी पहचान है।- सचिन पटेल

आजकल इंस्टाग्राम के विडियो में हम बहुत से विडियो बनाने वालों को देखते हैं लेकिन अपने क्षेत्र की मालवा की भाषा, मालवी में यहाँ...

ताजा खबरों से अपडेट रहना चाहते हैं ?

हमें आपसे सुनना प्रिय लगेगा ! कृपया अपना विवरण भरें और हम संपर्क में रहेंगे। यह इतना आसान है!