इंदौर में मराठी व्यंजन के लिए प्रसिद्ध पूर्णिमा, अब मास्टरशेफ बनने का सपना है। – पूर्णिमा राव

नमस्ते, 

आज हमारी टीम “अपनी पहचान” आपकी मुलाकात एक ऐसी शख्सियत से करवाने जा रही है। जिन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत सिर्फ शौक में ही की थी लेकिन आज इनकी पहचान मास्टरशेफ के प्रतियोगी के रुप में की जाती है। 

   खाना बना सभी लेते हैं पर स्वाद व लोगों को खिलाने का शौक साथ ही शौक के लिए प्रसिद्धि प्राप्त कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता है। 

कहा जाता है भोजन में माँ अन्नपूर्णा का वास होता है।

उन ही माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद व कृपा की धनी पूर्णिमा आज खाने के जरिए ही अपनी पहचान बना रही है। 

  शुद्धता, मन, स्नेह व लगन के साथ किया जाने वाला कोई भी काम कभी भी असफल नहीं होता है वह वक्त के साथ उन्नति व सफलता दे ही देता है। 

आज हम बात कर रहे हैं पूर्णिमा राव जी की जिन्होंने घर में खाना बनाने की ज़िम्मेदारी को समझा उसे निभाया और वह ज़िम्मेदारी कब शौक में बदल गई पता ही नहीं चला। 

    पूर्णिमा का जन्म 17 जनवरी 1984 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ। मम्मी – पापा नौकरीपेशा थे। स्कूल खत्म होने के बाद पूर्णिमा को खाना बनाने का शौक भी लग चुका था, मेहमानों को खाना बनाकर खिलाना प्रयोग करना अब रोज़मर्रा में शामिल हो चुका था। 

“एक वक्त के बाद शौक को ही कॅरियर के रुप में चुनने का सोच लो तभी वह जीवन में नया अध्याय बनकर शामिल हो जाता है।” 

    स्कूल के बाद प्रोफेशनल डिग्री में पूर्णिमा ने लगभग सन् 2001 के दौरान ग्रेजुएशन किया व एयरहोस्टेस का कोर्स किया। 

कुछ समय इन्होंने नौकरी की फिर नौकरी के कुछ समय बाद पूर्णिमा को लगने लगा कि कुछ ओर किया जा सकता है क्योंकि मेरी राह और मंज़िल यही है कि मैं खाना बनाने के प्रोफेशन मैं मे सफल होना चाहती हूं। 

   अब समस्या यह थी कि क्या किया जाए शौक तो खाना बनाने का है पर उसमें कोई राह उस वक्त नज़र नहीं आ रही थी क्योंकि उस वक्त तक हमारी ज़िन्दगी में इंटरनेट ने इतना प्रवेश नहीं किया था। 

    उसके बाद कुछ सालों बाद सन् 2008 में इनकी शादी हो गई वहाँ जाकर इन्होंने अपने सपनों को फिर से संजोया और घर से ही क्लाउड किचन की शुरुआत की। महाराष्ट्रीयन परिवार के होने की वजह से महाराष्ट्रीयन खाना खाने में इनको महारथ हासिल है व इनका महाराष्ट्रीयन खाना बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। 

     धीरे-धीरे स्वाद को देखते हुए इनके पास छोटे-छोटे प्रोग्राम में खाने के ऑर्डर आने लगे उन पर इन्होंने काम करना शुरु कर दिया जो बहुत ही अच्छा चल रहा था। 

   क्लाउड किचन और ऑर्डर पर खाना बनाना अकेले सबकुछ संभाल पाना मुश्किल था पर जुनून के आगे सब मुश्किलें छोटी लगने लग जाती है। 

उसके बाद किसी ने इनसे कहा कि आपके खाने में इतना स्वाद है तो आपको कुछ फूड स्टाॅल लगाकर  अपना ज़ायका लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करना चाहिए। 

क्योंकि शौक, समय, पहचान सबकुछ हासिल करने के लिए लोगों के बीच पहुंचकर उनसे सीधा सम्पर्क जरुरी है। 

     तब इन्होंने इंदौर सराफा में “मराठी मेजबानी” के नाम से स्टाॅल की शुरुआत की, जिसमें इन्होंने महाराष्ट्र की ट्रेडिशनल मिठास पूरणपोली बनाकर बेचना शुरु किया जिसके लिए ये प्रसिद्ध भी है। 

कुछ समय बाद ही लोगों की भीड़ व बड़े -बड़े फूड ब्लाॅगर्स इनके स्टाॅल पर आने लगे। साथ ही लोगों के रुझान बहुत ही सकारात्मक आने लगे थे क्योंकि वहाँ जायके के साथ शौक, चाह, खुशी शामिल थी। 

 मराठी मेज़बानी बढ़िया चल निकला उस ही बीच इनके किसी परिचित ने इनका रजिस्ट्रेशन इंडिया के सबसे बड़े फूड शो मास्टरशेफ में कर दिया था। 

     इनको इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा तक नहीं था एक दिन अचानक फोन आया कि इंदौर ऑडिशन इस दिन व यहाँ हो रहे हैं। तब पूर्णिमा ने अपनी स्पेशल डिश पूरणपोली को जजों के सामने रखा जिसे खाकर वे बहुत खुश हुए व इन्हें प्रोत्साहित किया। 

इंदौर ऑडिशन के तीनों राउंड क्लियर किए व अक्टूबर 2022 में मास्टरशेफ की तरफ से मुंबई में बुलाया गया। 

वहाँ जाकर जजों की डिमांड पर उन्हें अपने हाथों की पूरणपोली बनाकर खिलाई व टाॅप 36 में अपनी जगह बनाई। 

    जिसमें मध्यप्रदेश की अकेली प्रतियोगी रही है। पूर्णिमा आगे का सफ़र तय नहीं कर पाई पर भविष्य में इनका लक्ष्य मास्टरशेफ में जाकर इसके खिताब को जीतने का बन चुका है। 

पूर्णिमा के इतने सफर में इनका इतना मानना है कि यदि कुछ शौक है व उसमें भविष्य बनाने की राह है तो इधर-उधर उलझने की जगह उस पर ही ध्यान दिया जाए तो कामयाबी आसानी से प्राप्त हो सकती है। 

     पूर्णिमा बताती है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि क्लाउड किचन से वे मास्टरशेफ तक का सफर तय करेंगी। इन्होंने इतना सफर सपने की तरह जिया है। 

अब भविष्य में मास्टरशेफ जीतकर उस सपने को साकार करना चाहती है। 

हमारी टीम अपनी पहचान की बहुत सारी शुभकामनाएँ पूर्णिमा जी के साथ है कि वे मास्टरशेफ जैसे मंच पर जाकर अपने शहर व परिवार का नाम उज्जवल करें। 

More from author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related posts

Latest posts

जयपुर में साहू की चाय, जिसका अनोखा स्वाद लेने मुख्यमंत्री, मंत्री, सेलिब्रिटी सभी आते हैं, क्या है, चाय में खास – साहू की चाय

चाय!  चाय का नाम सुनते ही याद आ जाती है, छोटी-सी चाय की दुकान, उबलती हुई चाय, जिसके स्वाद की महक आसपास के वातावरण को...

डिप्रेशन को हराकर, कैसे काॅमेडी किंग बने इंदौरी रंजीत भिया – रंजित भिया

आज इंटरनेट के युग में जिस तरह से यूट्यूब का इस्तेमाल करके यूट्यूबर प्रसिद्धि पा रहे हैं, उन्हीं में से एक है। रंजीत कौशल...

आर्थिक स्थिति, फिर कैंसर से जीतकर नीलम कैसे कर रही है, शैक्षणिक संस्थान का संचालन – नीलम शर्मा

ऐसा कहा जाता है, कि शिक्षा ऐसा धन है, जो हमेशा हर समय काम आता है। जितना इस धन को जितना बांटा जाता है,...

ताजा खबरों से अपडेट रहना चाहते हैं ?

हमें आपसे सुनना प्रिय लगेगा ! कृपया अपना विवरण भरें और हम संपर्क में रहेंगे। यह इतना आसान है!