क्रिकेट तो हम सभी ने बचपन में खेला ही होगा, कुछ लोगों का बचपन में सबसे पसंदीदा खेल भी यही हुआ करता था।
आज हम क्रिकेट जगत में एक क्लब क्रिकेट T20 के इतिहास में विश्व रिकॉर्ड बना चुके क्रिकेटर विपुल नारीगरा की बात करेंगें।
विपुल का जन्म 22 अगस्त सन् 1992 को गुजरात के गांव आसराना (महुआ) में हुआ।
दादाजी ओर पिताजी किसान रहे, तो खेती-बाड़ी करने वाले किसान परिवार और ग्रामीण परिवेश के बीच इनका बचपन बीता।
स्कूली शिक्षा इनकी गुजरात के ही एक गांव डूंगर के जे. एन. मेहता हाईस्कूल से पढ़कर हुई। स्कूल के वक्त ही लगभग पांचवीं कक्षा के दौरान स्कूल में विद्यार्थियों के साथ क्रिकेट खेलना शुरु किया, और फिर इन्हें खेल का शौक बढ़ता गया।
फिर साल 2004 में स्कूल में क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें इन्होंने भाग लिया और बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। उस मैच के बाद इन्होंने क्रिकेट में ओर रुचि लेना शुरु किया तब पढ़ाई में ये कुछ अच्छे नहीं थे। हमेशा पास होने जितने ही नम्बर लाते थे, तो कभी फेल भी हो जाया करते थे।
समय के साथ इनका लगाव लगातार क्रिकेट के लिए ओर बढ़ने लगा, पर ग्रामीण परिवेश में ना तो क्रिकेट किट होती थी, और ना ही वहाँ कोई कोच हुआ करते थे। क्रिकेट ग्राउंड का भी अभाव हुआ करता था। और बाकी सुविधाओं से वंचित होने की वजह से इन्होंने बहुत परेशानी सहन की, पर कभी अपने सपने के साथ समझौता नहीं किया।
सोचा कि क्रिकेटर बनना है, तो चल निकले अपने सपने की ओर। उस समय गांव के लोगों के साथ ही क्रिकेट मैदान में खेलते रहते थे।
और समय आते-आते सन् 2010 में जब विपुल 12वीं कर रहे थे, तब परीक्षा परिणाम ठीक नहीं रहे, और ये 12वीं में फेल हो गए।
तब इन्होंने गांधीनगर जा कर क्रिकेट में अपना भविष्य बनाने की ठान ली। जब ये गांधीनगर गए, तब वहां एक अच्छी क्रिकेट एकेडमी में भर्ती होने का सोचा था। तब वहां की मंहगी फीस सुनकर ये एकेडमी में प्रवेश नहीं ले पाए, क्योंकि उस वक्त इनके पास इतने पैसे नहीं थे।
विपुल के परिवार वालों ने हमेशा इनके सपनों को लेकर प्रोत्साहित किया। इनके पिताजी ने कहा, कि हमारे पास कुछ नहीं है। तुम्हें देनें के लिए पर, हम तुम्हारें पंख नहीं काट सकते। तुम जिस उंचाई पर जाना चाहते हो, बस मेहनत करो।
विपुल के पिताजी ने हमेशा इनकी मदद करना चाही, पर इन्होंने कभी क्रिकेट के लिए या गांधीनगर में रहने के लिए परिवार की तरफ से कोई आर्थिक मदद को स्वीकार नहीं किया।
तब उस क्रिकेट एकेडमी जाॅइन करने के लिए, इन्होंनें गांधीनगर के ही एक रेस्टोरेंट में रात के समय वेटर की नौकरी की। रहने के लिए कमरे का किराया ना होने पर ये कभी रेलवे स्टेशन पर रहे हैं, तो कभी किसी दोस्त के घर रहे।
एक-एक पैसा बचा-बचा कर अपने दिन निकाले, कभी पाव ब्रेड खा कर ही दिन निकाल लिया करते थे। तो कभी तो भूखे पेट ही सो जाया करते थे। तो कभी जेब में एक रुपया तक नहीं होता था, कहीं जाने के लिए किराया ना होने पर पैदल ही चले जाया करते थे।
जब क्रिकेट एकेडमी में जमा करने के लिए इन्होंने फीस रखी, तब वे पैसे ही चोरी हो गए थे। फिर वापस कुछ महीनों की तनख्वाह बचाकर और कुछ दिन उसी तरह मुश्किल परिस्थितियों में दिन गुजारकर क्रिकेट की फीस जमा की और फिर एकेडमी में जाने लगे। धीरे-धीरे क्रिकेट के गुर सीखने लगे, और अच्छे से क्रिकेट खेलने लगे।
इन सभी के बीच इनकी पढ़ाई अधूरी रह गई थी, तभी उन्होंने 10वीं के आधार पर गवर्नमेंट पाॅलीटेक्निक काॅलेज गांधीनगर में इंजीनियरिंग के डिप्लोमा में प्रवेश ले लिया और पढ़ाई शुरु कर दी।
उस समय से विपुल हमेशा अपने साथ श्रीमद्भागवत गीता रखते हैं, जिससे उन्हें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। कुछ नहीं होने के बावजूद सबकुछ पा लेने का हमेशा प्रयास करते है। बस हिम्मत ना हारने की कोशिश करते रहते हैं।
विपुल ने उसी समय उन्हीं हालातों के बीच, एक आइसक्रीम फैक्ट्री में रात के समय मजदूरी भी किया करते थे। जिसमें रात भर काम करने के बावजूद सुबह प्रेक्टिस पर भी समय से पहुंच जाया करते थे।
फिर कुछ समय बाद एक कम्पनी के कस्टमर केयर में भी रात को नौकरी करने लगे, ताकी सुबह-सुबह मैच की प्रैक्टिस अच्छे से हो सके, और दिन में वे काॅलेज जा सके।
विपुल का क्रिकेट में ध्यान ज्यादा रहा, और तब गांधीनगर के ही एक जाने-पहचाने वेलियंट क्रिकेट क्लब के लिए खेलना शुरू किया।
हालातों और स्थितियों को सुधरने का किस्मत ने यही समय तय किया था। क्लब के लिए खेले मैचों में इनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा, वहीं से नाम, पहचान, पैसा, सब कुछ मिलने लगा।
वहीं आईपीएल की तर्ज पर वेलियंट प्रीमियर लीग का आयोजन हुआ।
जिसमें इन्हें कप्तानी करने का मौका मिला। यहाँ भी मैच अच्छे रहे, सोशल मीडिया में नाम मिला, गुजरात में अच्छी पहचान मिलने लगी। जिससे इन्हें आयोजनों में अतिथी, विज्ञापनों के मौके और बहुत कुछ कार्यक्रम मिलना उस समय से शुरू हो चुके थे ।
अब सन् 2016 आते-आते इनके कुछ सपने साकार रुप लेने लगे थे,और मेहनत अब कुछ रंग लाने लगी थी।
सन् 2017 में नेपाल के पोखरा क्रिकेट क्लब के सामने वेलियंट क्लब की तरफ से टी-20 मैच में 10वीं विकेट के लिए सबसे ज्यादा रन साझेदारी का विश्व रिकार्ड बनाया। उन्होंने क्लब क्रिकेट इतिहास में T20 क्रिकेट में 10 वें विकेट के लिए 82 रनों की विश्व रिकॉर्ड साझेदारी की। विपुल ने 16 गेंदों में 40 रन बनाए।
जिसमें पांच चौके और दो छक्के शामिल थे, और ए.त्यागी के साथ शानदार प्रदर्शन किया। जिन्होंने विपुल के साथ 36 रन जोड़कर यह विश्व रिकॉर्ड बनाया।
इस विश्व रिकॉर्ड के बाद ये सफलता लगातार हासिल करते रहे, और फिर जल्दी ही, सभी सोशल मीडिया पर इनके अकाउंट सेलिब्रिटी टिक के साथ मान्य होते गए।
समय चलता गया सन् 2019 में फिर वेलियंट प्रीमियर लीग हुआ जिसमें संगीतकार मीत ब्रदर्स की टीम के लिए विपुल ने कप्तानी की।
विपुल ने जिन खराब स्थितियों को देखा है, और आज जो बहुत सकारात्मक माहौल है। उसे लेकर बहुत खुश है, उस वक्त जेब खाली और, किसी की मदद के बिना अपना मुकाम बना पाना बहुत मुश्किल होता है।
क्रिकेट से विपुल को नाम, दौलत, शोहरत सब हासिल हुआ है, अब इनका सपना है, कि वो क्रिकेट के लिए कुछ करें।
भविष्य में कुछ साल बाद इनका एक क्रिकेट एकेडमी बनाने का विचार चल रहा है, जिसमें गरीब व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को निःशुल्क क्रिकेट की सुविधाएं और शिक्षा दी जाएंगी l