मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी के साथ ही कैसे “द कपिल शर्मा शो” के स्क्रिप्ट राइटर बने – एकाग्र शर्मा 

एक कहावत लोग कहते हैं, “मनुष्य को कमाने-खाने के साथ ही सपनों को भी जीवित रखना चाहिए।” 

जैसे पानी के बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता है, वैसे ही बिना सपनों के मनुष्य जीते जी भी निर्जीव वस्तु के समान हो जाता है। 

हमें कभी-कभी ऐसे भी व्यक्तित्व मिलते हैं, जो एक साथ दो काम करते हुए दोनों में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं, एकाग्र शर्मा जी की, जिनका जन्म इंदौर मध्यप्रदेश में 18 नवंबर को हुआ। जिन्होनें अपने अनुशासन और सीखने की कोशिश से आज एक नए मुकाम को हासिल करने के लिए लगनशील है। 

एकाग्र के माता-पिता दोनों नौकरी पेशा रहे, तो इनका समर्पण भी नौकरी को लेकर रहा, परतुं इनके पिता 

श्री राघवेन्द्र शर्मा जी साहित्य जगत का एक जाना पहचाना नाम है, तो इनका बचपन मिला- जुला रहा।

पढ़ाई के दौरान ही साहित्यिक जगत से मेल होता रहा, उसी समय से बचपन के दौरान ही ये पैरोडी, शायरी, गीत, गजल लिखने लगे थे।

स्कूली शिक्षा के बाद इंदौर से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, इंजीनियरिंग करने के बाद ही आईटी सेक्टर में गुरुग्राम में नौकरी लग गई।

इस नौकरी के दौरान नौकरी तो अच्छी थी, कुछ समय तक नौकरी की पर मन में लग रहा था, कि मैं खुश नहीं हूँ, अब यह नौकरी नहीं करना। क्योंकि जो काम मुझे करना है, उसमें ओर उस काम से खुश होना जरुरी होता है। 

तब इन्होंने नौकरी छोड़कर वापस अपने शहर इंदौर आने का मन बना लिया था। इंदौर वापस आकर अब आगे क्या करना चाहिए, यह विचार बनाने लगे, तभी इन्होंने एमबीए करने का मन बना लिया ओर एमबीए फायनेंस से पढ़ाई फिर शुरू कर दी। 

एमबीए के बाद इनकी नौकरी मुबंई में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में लग गई, अब मुंबई में नौकरी के साथ सन् 2012 से अपनी कला को भी साधने ओर उसमें भी अपना नाम बनाने का मन बना लिया था।

क्योंकि कलाकार चाहे कहीं भी रहे, वह अपनी कला के लिए चुम्बकीय आकर्षण की तरह ही आकर्षित होता चला जाता है। 

एकाग्र की सोमवार से शुक्रवार नौकरी होती थी, शनिवार ओर रविवार को छुट्टी वाले दिन ये निकल जाते थे, अपने सपनों ओर अपेक्षाओं का झोला लेकर…… लेखन एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ समर्पण ओर सब्र की उम्दा परीक्षा होती है। ऐसे ही सब्र का एक इम्तिहान एकाग्र को मिलने लगा था।

 पर कहा जाता है, सब्र का फल मीठा होता है। एकाग्र शनिवार ओर रविवार के दिन काम की तलाश में निकल जाया करते थे, जब इनके दोस्त पार्टी या आराम कर रहे होते थे, ये ऑडिशन देने के लिए चले जाया करते थे। “आराम या शौक के साथ जीना इनका सपना ना होकर इनकी मंजिल इनकी ख्वाहिशों का हिस्सा बन चुकी थी।” 

दूर का सफर होने पर लोकल ट्रेन में इन्हें हर सफर में मजा आता था, ये कहते हैं जो सफर को नहीं जीता है, उसका सफर अधूरा ही रह जाता है।

जीवन के रास्तों में मिलने वाला हर चरित्र किसी ना किसी वजह से ही मिलता है, ओर सबका मिलना पहले से ही तय होता है। 

जब भी ये  ऑडिशन के लिए जाते थे, कभी सिलेक्शन नहीं भी होता था, तो ये बस इतना मान लेते थे कि मेहनत तो की है, “असफलता ही सफलता को मार्गदर्शित करती है।” 

कहीं ना कहीं लोगों से मिलने पर उनसे जो संबध बन जाते हैं, वहीं आगे चलकर साथ देते हैं। 

इन्हीं दिनों में अब इन्हीं सब के बीच एकाग्र ने थियेटर के लिए नाटक लिखना शुरू कर दिया था, छोटा सा भी काम मिलता तो खुशी से कर देते थे, क्योंकि इस काम में इन्हें मन में असीम शांति का अहसास होता था। 

नौकरी के साथ ही यह काम दोनों को संभाल कर चलना मुश्किल लगता है, पर जितना इनका समर्पण अपने लेखन के प्रति रहा है, उतना ही अपने पेशे को लेकर भी रहे हैं। जो काम जिस समय करते हैं, उसके लिए सम्पूर्ण मन ओर कर्तव्य को ध्यान में रखकर करते हैं। 

फिर इन्होंने स्टैंडप काॅमेडी लिखना शुरू किया, उसी दौरान एकाग्र का मशहूर बाॅलीवुड काॅमेडी किंग जाॅनी लिवर साहब से मिलना हुआ, जिनके एक काॅमेडी शो के लिए इन्होंने स्क्रिप्ट लिखने का मौका मिला। जो जाॅनी लिवर साहब को बहुत पसंद आई। 

एक निगाह लक्ष्य पर यदि कोई साध लेता है, तो वह कैसे भी उस लक्ष्य तक पहुंच ही जाता है, ऐसा ही कुछ इनके साथ हुआ। इन्होंने द कपिल शर्मा शो में स्क्रिप्ट राइटर के लिए ऑडिशन दिया, ओर इनके काम को देखते हुए, इन्हें राइटर रख लिया गया। 

उसके बाद बहुत से रियलिटी शो में इनके लिखे काम को सराहा गया है, ओर अब ये अपनी नौकरी के साथ ही सपनों को हकीकत में साकार कर रहे हैं। 

एकाग्र ने फिर कपिल शर्मा शो के लिए शायरी लिखी, जो सभी को बहुत पसंद आती है,बाकी लोगों से काम 

सीखने की कोशिश करते रहते हैं। अब तक एकाग्र सुपरडांसर, इंडियन आइडल, सबसे बड़ा कलाकार जैसे कई शो के लिए लिख चुके हैं। 

एकाग्र बताते हैं कि उनके दोस्त हमेशा बोलते हैं, कि शनिवार, रविवार छुट्टी, पार्टी के लिए होता है, पर ये बोलते हैं, सभी की खुशी एक नजरिए से तय नहीं की जा सकती है। मुझे बस मेरे लिखने के काम में ही खुशी मिलती है। 

ओर बताते हैं, कि यदि आपके लोगों से व्यवहार अच्छे हैं, आप में व्यवहार कुशलता है, व्यवहार बना कर उसे निभा सकने की क्षमता हैं, तो यकीनन आप दुनिया की नजरों के सामने सफल हो या ना हो अच्छे इंसानों की सूची में शामिल जरुर हो जाएंगे। 

एकाग्र अब आने वाली पीढ़ी या नौजवानों के बीच आकर उन्हें लेखन जगत में कैसे काम किया जाता है, उसके गुर सीखा कर कामयाबी के रास्तों को आसान करना चाहते हैं, जितना संघर्ष इनका रहा है, उतना अब दूसरों को ना करना पड़े। 

कभी भी कोई पैमाना हमारी सफलता को तय नहीं कर सकता है, हमारे मन की संतुष्टि ही हमारी सफलता का ध्येय होकर उसे तय करती है। ओर यदि समय की कीमत को समझते हैं, तो समय उसका सकारात्मक परिणाम जरुर देता है। 

यहीं एकाग्र अपनी संघर्ष पर लिखी पक्तियों को इस तरह प्रस्तुत करते हैं – 

” कि हर स्वप्नशील और संकल्पित इरादे को समर्पित मेरी ये पंक्तियां “- 

आंधियों ने भी आजमाया है हौसला गज़ब मेरा, फिर भी आशा ना टूटी चाहे छीन गया सब मेरा। 

मेरे अधूरे ख्वाबों पर जो आज तंज कसा करते है, कल उन्हें यकीं हो जाएगा जब देखेंगे करतब मेरा।। 

टीम अपनी पहचान की तरफ से एकाग्र को उनकी सफलता ओर लेखन के क्षेत्र में आगे आकर अपनी कला को जगत के सामने प्रस्तुत करने के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ।

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