गुरुओं के आशीर्वाद के साथ आकाश ने कैसे जीते कुश्ती में गोल्ड मेडल- आकाश माली

एक बात अक्सर कही जाती है, कि सोना जितना तपता है, उतना ही वो निखर कर आता है। वैसे ही खेल जगत में कोई भी खिलाड़ी कितनेभी मेडल हासिल कर ले, पर हर खिलाड़ी की चाहत गोल्ड मेडल हासिल करने की होती है। 

जिसके लिए वो मेहनत की ताप में तपता है, ओर वो उनके लिए दिन-रात प्रयास भी करते हैं।

जो खिलाड़ी जितने नियमों का पालन करता है, 

परिणाम उतना ही निखर कर आता है। 

हम बात कर रहे हैं, ऐसे ही युवा कुश्ती के खिलाड़ी आकाश माली की जिन्होंने कुश्ती में दो बार गोल्ड मेडल हासिल किया है। एक बार स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल मिला और एक बार नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीता।

रतलाम (मध्यप्रदेश) में आकाश का जन्म 17 अक्टूबर सन् 1991 को एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।

बचपन तो आकाश का सामान्य तरीके से गुजरा, प्रारंभिक शिक्षा रतलाम के ही प्रायवेट स्कूल से हुई। इनके पिताजी का रतलाम में सामान्य व्यवसाय रहा।

आकाश का शुरु से ही लगाव अपने मामा की तरफ ज्यादा रहा, इसी लगाव की वजह से इन्होंने लगभग सन् 2006 में रतलाम छोड़कर अपने मामा के घर उज्जैन में रहने का मन बना लिया। 

ओर उज्जैन आ कर रहने लगे 

स्कूली शिक्षा भी यहीं से लेने लगे। 

इनके मामा कुश्ती के खिलाड़ी रहे, ओर अखाड़े के पहलवान भी रहे तो यही आकाश सब देखते रहते।

कुछ समय बाद आकाश ने भी अखाड़े जाना ओर कुश्ती खेलना शुरू कर दिया।धीरे-धीरे अभ्यास करने लगे, अखाड़े के नियमों को समझने लगे, जिसमें सर्वप्रथम मिट्टी का पूजन, भगवान का आशीर्वाद, तथा गुरुओं को प्रणाम शामिल होता हैं।

 स्कूल की पढ़ाई के साथ ही इनका मन कुश्ती में भी लग चुका था। कुश्ती के गुर व नियमों को सीखने लगे, व उन्हें समझने लगे।

वहीं स्कूली दौर में इन्होंने कुश्ती में पहली प्रतियोगिता जीती, ओर यहीं से इनका मनोबल बढ़ने लगा, ओर ये अधिक समय अखाड़े में व्यतीत करने लगे। शुरुआती दौर में तो ये 1 घंटा अभ्यास करते थे, पर समय के साथ अभ्यास अवधि बढ़ाते गए।

स्कूल के दौरान ही इन्होंने नगर, जिला, प्रांत में ओर स्टेट लेवल पर कुश्ती खेलना शुरु कर दिया, और बहुत से मेडल प्राप्त करने लगे। इनकी मेहनत का ही असर रहा कि, आकाश अपने नाम की तरह उज्जवल होने लगे। 

कम ही समय में ये प्रदेश के जाने-माने कुश्ती खिलाड़ियों में शुमार हो गए। सन् 2011 के समय जब आकाश एक स्टेट लेवल कुश्ती प्रतियोगिता के लिए बीकानेर राजस्थान गए, तब इन्होंने वहाँ अपना पहला गोल्ड मेडल जीता।

अपनी पढ़ाई भी साथ जारी रखी, खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते रहे, ओर तब तक ये शहर ओर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने लगे थे। 

पारिवारिक हालत तब तक तो सामान्य थे, पर कुछ समय के लिए हालात खराब हो गए और आकाश को अपनी पहलवानी ओर कुश्ती को विराम देना पड़ा, फिर घर व परिवार की जिम्मेदारी को संभालने में लग गए।

घर का बड़ा होने के नाते इन्होंने हर स्थिति को सकारात्मक परिवर्तन देने की कोशिश की। और कुछ समय बाद समय में बदलाव आया, सब ठीक होने लगा फिर आकाश ने अखाड़े में दोबारा कदम रखा और फिर मेडलों की झड़ी लगने लगी। 

तब तक आकाश देश के हर हिस्से में जा कर दंगल खेलने लगे, कुश्ती की हर छोटी बड़ी प्रतियोगिता में जाने लगे। नए-नए दांव सीखने लगे। कितनी ही बार चोट भी लगती, फिर भी अभ्यास जारी रखते। 

सन् 2014 के दौरान आकाश ने  कई प्रतियोगिताएं जीती जिनमें उज्जैन संभाग केसरी, ग्वालियर में मध्यप्रदेश केसरी, व रतलाम महापौर केसरी प्रमुख हैं।

जब ये काॅलेज में आए, तब इन्होनें अपने विश्वविद्यालय का भी प्रतिनिधित्व किया, जिसमें इन्होंने अमरावती और हिसार में नेशनल लेवल पर कुश्ती खेली। 

प्रदेश का भी कुश्ती में इन्होंने प्रतिनिधित्व किया, जिसमें इन्होंने इंडियन सीनियर नेशनल काॅम्पीटीशन में भाग लिया यह प्रतियोगिता अयोध्या में आयोजित हुई थी। और लगातार छः सालों तक नेशनल लेवल की कुश्ती प्रतियोगिताओं का हिस्सा रहे।

फिर ये एक साल कुश्ती के लिए घर परिवार से दूर दिल्ली चले गए, जहांँ इन्होंने परम्परागत कुश्ती की ट्रेनिंग ली, अखाड़े में रहे। 

वहाँ के नियमों का पालन किया, जिसमें अपने सारे काम स्वयं को ही करना होते थे। जिसमें खाना बनाना, साफ-सफाई करना जैसा हर काम शामिल रहा। 

इन्होंने अभ्यास और अपने खाने-पीने पर विशेष ध्यान दिया व अखाड़े के सख्त नियमों का पालन किया तब भी यह इनके दैनिक जीवन का एक हिस्सा था ओर आज भी है। 

नेशनल लेवल के लिए इन्होंने लगातार अभ्यास किया और वहीं दिल्ली में आयोजित SGFI (स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया) की एक प्रतियोगिता में शामिल हो कर गोल्ड मेडल हासिल किया।

ये लगातार दंगल खेलते रहे, जिससे इन्हें कई मेडल प्राप्त हुए, और दंगल से जो जीत की राशि प्राप्त होती थी, उसे ये अपने खाने-पीने पर खर्च किया करते थे। 

जब आकाश दिल्ली से जीतकर वापस अपने शहर आए, तब इन्होंने इंदौर में अपने गुरु श्री वीरेंद्र निश्चित जी के पास जा कर ट्रेनिंग जारी रखी, वीरेंद्र निश्चित जी जिन्होंने कुश्ती में दो बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है, और उन्होंने सुल्तान व दंगल जैसी फिल्मों में सलमान खान और आमिर खान को कुश्ती की ट्रेनिंग दी है।

आकाश जब इंदौर में कुश्ती की ट्रेनिंग ले रहे थे, तब वे सुबह उज्जैन के अखाड़े में अभ्यास करते व शाम को इंदौर में अभ्यास करते थे। रोज बस से इंदौर उज्जैन का सफर तय करते, फिर अभ्यास तब बहुत ज्यादा व्यस्त ओर थका देने वाली दिनचर्या होती थी।

आकाश बताते है, कि उनकी एक प्रतियोगिता होने वाली थी, उस समय ये चोटिल हो गए, उसके बावजूद अभ्यास किया और प्रतिस्पर्धा को जीता। कुश्ती के लिए इन्होंने घर, परिवार सबसे दूर रहकर अभ्यास किया। सामान्य लोगो से इनकी जिंदगी अलग हो गई। सबसे मिलना-जुलना बिल्कुल बंद करके, इन्होंने अपना अधिकांश समय अखाड़े में ही गुजरा है। सामान्य खानपान से अलग इनका खानपान है। 

यह भी एक तरह का संघर्ष ही होता है। जिसमें कठोर नियमों का पालन व अनुशासन मायने रखता है। अपने स्वास्थ्य से बिल्कुल लापरवाही नहीं बरती जा सकती, परिस्थिति कैसी भी हो अभ्यास प्रतिदिन करना होता है। 

इस तरह आकाश ने अपने अस्तित्व को कायम किया है, अब आकाश रतलाम में रहकर बच्चों को कुश्ती सीखा रहे हैं, अपने अभ्यास व प्रतियोगिताओं को भी निरन्तर जारी रखा है। आकाश चाहते हैं, कि बच्चे भी इस खेल को समझे अखाड़ों को जाने, व भविष्य में देश के नाम को गौरवान्वित करें। 

जब भी आकाश निराश हुए है, वे यही सोचते हैं, 

   कि मनुष्य के जीवन में गिरना, उठना और चलना एक सामान्य प्रकिया है, उसी प्रकार हमारे जीवन में भी यह प्रक्रियाएं निरंतर जारी रहती है। और यदि लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो गिरकर फिर से चलना सीखना होगा। 

भविष्य में आकाश बच्चों को कुश्ती सीखाना चाहते हैं, ताकि छोटे शहर के बच्चे भी आगे जा सके, वे आगे जा कर खुद की कुश्ती एकेडमी शुरु करना चाहते हैं।

Ashwin Khatri
Ashwin Khatri has laid the foundation of the platform named "Apni Pehchaan", Ashwin has tied himself with the society for many years in the role of social worker at his level. After doing MSc from Udaipur University, he is starting his identity with the aim of giving a new direction to the society. Ashwin Khatri has resolved to nurture the hidden talents, professions behind the scenes of the society and take them all along in future. Contact Mail - ashwinkhatri@apnipehchaan.com

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