किन मुसीबतों से उठकर पेपर बेचने वाले राम ने जीता मिस्टर उज्जैन आयरन मेन में सिल्वर मेडल- राम पंवार

जब जीवन में मुसीबतों का दौर शुरु होता है, तब वह वक्त ही कुछ ऐसा होता है, कि सबकुछ सही करने की चाह हो तब भी मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ती, एक ना एक परेशानी साथ चलती है। 

हम बात कर रहे हैं, राम पंवार जी की

जिन्होनें बचपन से ही मुसीबत उठाई, पेपर बेचे, दोने-पत्तल बनाएं साथ ही पढ़ाई अपनी जारी रखी और मि. उज्जैन प्रतियोगिता में मेडल जीते। एवं साथ ही आज भारत की एक बहुप्रतिष्ठित कम्पनी में नौकरी कर रहे हैं।

राम पंवार जिनका जन्म 11 जुलाई सन् 1992 को उज्जैन मध्यप्रदेश में हुआ। इनकी शिक्षा शहर के ही सरकारी स्कूल ओर काॅलेजों में हुई। पारिवारिक स्थिती अति सामान्य रही। क्योंकि इनके पिताजी के काम-काज में कोई स्थिरता नहीं थी, बस गुजर-बसर हो रहा था, ओर ये उस समय किराए के घर में रहा करते थे। 

साल 2007 के समय जब राम की उम्र लगभग 13 वर्ष की थी, तब इनके पिताजी लकवाग्रस्त हो गए। उस समय इनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। क्योंकि आर्थिक स्थिति पहले से ही नाजुक थी, फिर अचानक से घर के जिम्मेदार व्यक्ति का रोगी हो जाना, यह इनके जीवन में नई समस्याओं का आगमन था। 

छोटी उम्र में इन पर ओर इनके भाई पर घर की पूरी जिम्मेदारी आ चुकी थी, इनके बड़े भाई जो इनसे दो साल बड़े है। घर चलाने के लिए इन्होंने और इनके भाई ने पेपर बेचे, सुबह जल्दी पेपर बांट कर स्कूल जाते थे। ओर शाम को फिर से पेपर बांटने निकल जाते थे। इस तरह काम के साथ ही अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। 

उस समय कम आमदनी में पिताजी का इलाज, घर खर्च, मकान का किराया सबकुछ संभाल पाना, इतनी कम उम्र में बहुत ही मुश्किल हो रहा था। 

पर इन्होंने हिम्मत नहीं हारी ओर धीरे-धीरे सब जिम्मेदारी निभाने लगे। कुछ सालों तक यही सिलसिला लगातार चलता रहा, वक्त के साथ जिम्मेदारी ओर बढ़ती जा रही थी, पर पैसे बहुत कम मिला करते थे। 

तब भी राम ने पढ़ाई और पेपर के काम को जारी रखा, पिताजी के इलाज में बहुत पैसा खर्च हो रहा था। ओर घर की स्थिति यथावत ही थी।

ज्यादा आय के लिए, इन्होंने पेपर का काम बंद करके दोने-पत्तल के कारखाने में काम करना शुरु कर दिया। 

एक साल इन्होंने दोने-पत्तल के कारखाने में काम किया रोज लगभग 10 से 12 घंटे काम किया करते थे। साथ में पढ़ाई भी करते थे, कक्षा 12 वीं तक इन्होंने कारखाने में ही काम किया। 

फिर राम ने काॅलेज में प्रवेश लिया। काॅलेज के दौरान इनकी मुलाकात किसी पुराने परिचित से हुई, जिनकी सलाह पर राम एक शो रुम पर नौकरी करने लगे, तब इनकी आय का एक बड़ा भाग पिताजी के इलाज पर खर्च हो रहा था। पर पहले से आय थोड़ी कुछ ठीक हो रही थी, पर परेशानियों का सामना अब भी कर ही रहे थे। 

सन् 2014 तक इन्होंने शो रुम पर लगभग चार साल तक नौकरी की, तब तक इनका ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था। पोस्ट ग्रेजुएशन इन्होंने मास्टर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में किया। 

इसी वर्ष सात साल की लंबी बीमारी और लगातार इलाज के बाद इनके पिता का देहांत हो गया। पिता के निधन के बाद ये बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे। हिम्मत रख कर खुद को ओर परिवार को वापस से संभालने लगे। तब तक इनकी नौकरी में उन्नति हो गई, ओर ये अब शोरुम प्रबंधन में मैनेजर बन गए।आय बढ़ रही थी, तो हालातों में भी धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा था। 

राम तब अपने कॅरियर से संतुष्ट नहीं थे, जो मुकाम पर ये पहुंचाना चाहते थे, वो अभी मिल नहीं पा रहा था। सन् 2015 में राम ने इंदौर की एक कम्पनी में इंटरव्यू दिया। ओर चयन के बाद वहां नौकरी शुरु की, उस वक्त रोज उज्जैन से इंदौर का सफर बस से तय किया करते थे। रात की शिफ्ट में काम करने के बाद आधी रात को घर आना, कभी गाड़ी तो कभी परिवहन के लिए परेशान होना, तब यह इनके लिए रोजमर्रा का एक हिस्सा बन गया था। प्रतिदिन उज्जैन इंदौर का सफर इन्होंने लगभग एक साल तक किया। 

राम इंदौर में नौकरी करते थे, तब ये काफी ज्यादा दुबले पतले थे, लोग इनका मजाक बनाया करते थे। इन्हें बुरा भी लगता था, तब इन्होंने अपनी हेल्थ के लिए सोचा ओर जिम जाना शुरु किया। अपने शरीर ओर खानपान पर ज्यादा ध्यान देने लगे। जिम में ज्यादा समय देने लगे। बहुत मेहनत की ओर समय के साथ ये शरीरसाधक बन गए।

घर से दूर नौकरी करना साथ ही जिम करना, समय से घर ना जा पाना। कहीं ना कहीं परेशानी होने लगी थी, फिर सन् 2016 के दौरान ये अपने परिवार को इन्दौर लेकर आ गए, और किराये के मकान में रहने लगे। नौकरी अच्छी थी, तो कोई दिक्कत नहीं  थी, परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे।

अब जाॅब भी बढ़िया हो गई, अच्छे पैकेज की वजह से अच्छा जीवनयापन हो रहा था, और बाॅडी भी अच्छी बना ली। सन् 2017 के समय किसी परिचित के कहने पर इन्होंने प्रदेश स्तर पर होने वाली शरीरसाधकों की प्रतियोगिता मिस्टर एमपी में भाग लिया, किन्तु ये टाॅप श्रेणी में नहीं आ पाए। उस समय बहुत निराश हो गए थे। कुछ समय परेशान भी रहे, पर गिरकर ,उठकर चलने का हौसला साथ रहा। फिर मेहनत पर ज्यादा ध्यान देने लगे। 

जिम में भी अच्छे से वर्कआउट करते थे, फिर इन्होंने सोचा कि नौकरी के साथ ही पर्सनल जिम ट्रेनिंग देने की भी शुरुआत कर दी जाए, ओर जिम ट्रेनर बनकर ट्रेनिंग देने लगे। साथ ही अपनी जिम ट्रेनिंग भी जारी रखी। वहीं नौकरी में भी तरक्की हो रही थी। 

फिर राम ने सन् 2018 में उज्जैन में हुई प्रतियोगिता मिस्टर आयरनमेन में भाग लिया जिसमें इन्होंने सिल्वर मेडल प्राप्त किया। इस मेडल को जीतने के बाद इन्हें और मेडल व पदक जीतने की चाह है। जिससे ये देश में अपने ओर अपने परिवार का नाम गौरवान्वित कर सके। 

और अब ये प्रदेश व देश में होने वाली अन्य प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रहे हैं। ताकि प्रदेश ओर देश में अपने शहर का प्रतिनिधित्व कर शहर का नाम रोशन कर सकें। 

जितनी मुसीबतें इन्होंने और इनके परिवार ने देखी है, उससे इन्होंने कभी हार नहीं मानी, हर परिस्थिति का सामना किया। कभी दुखी नहीं हुए और नकारात्मक विचार नहीं लाए। 

इनका मूलमंत्र हमेशा यही रहा जितना अधिक परिश्रम उतनी अधिक सफ़लता।

कुछ समय बाद सन् 2019 के दौरान ही राम का चयन देश की एक बहुप्रतिष्ठित कम्पनी में हो गया। 

जहांँ ये एक अच्छे पद पर मेहनत और लगन के साथ काम कर रहे हैं, साथ ही जिम ओर अपने परिवार को भी समय दे रहे हैं।

राम का कहना है, कि हम कामयाब सिर्फ मेहनत के दम पर ही हो सकते हैं। कामयाब होने का कोई सरल मार्ग नहीं है। जितनी असफलता मिलेगी, मेहनत उससे अधिक करना होगी। तभी सफलता प्राप्त हो सकती है। 

भविष्य में राम स्वयं का जिम शुरु करना चाहते हैं, 

कुछ सपने अभी बाकी है, उन्हें पूरा करना चाहते हैं।

उनका समय जितना बुरा रहा उतना अच्छा भी रहा है, वक्त के साथ उनके धीरे-धीरे सारे सोचे हुए काम भी पूरे होते जा रहे हैं।

हम इनका भविष्य ओर अधिक उज्जवल होने की प्रार्थना करते है।

Ashwin Khatri
Ashwin Khatri has laid the foundation of the platform named "Apni Pehchaan", Ashwin has tied himself with the society for many years in the role of social worker at his level. After doing MSc from Udaipur University, he is starting his identity with the aim of giving a new direction to the society. Ashwin Khatri has resolved to nurture the hidden talents, professions behind the scenes of the society and take them all along in future. Contact Mail - ashwinkhatri@apnipehchaan.com

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