फैक्ट्री में काम करने गुरी कैसे बने पंजाब म्यूजिक इंडस्ट्री के लिरीक्स राईटर – योर्स गुरी

संगीत के तो हम सभी प्रेमी होते हैं, संगीत सुनते वक्त अक्सर लगता है, कि कितनी गहराई में सोच कर इस गाने को लिखा गया होगा ओर कैसे बनाया गया होगा? 

यहाँ हम संगीत से जुड़े, ऐसे ही एक शख्सियत योर्स गुरी (गुरप्रीत सिंह) की बात करेंगें, जिनमें गाने लिखने और उसे कम्पोज करने की अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं। 

जिन्होंने अपने काम से पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में बहुत ही कम समय में कामयाबी का शिखर हासिल कर लिया है। 

गुरी का जन्म 2 जनवरी सन् 1993 को पंजाब के जालंधर शहर में हुआ।

गरीब परिवार की पृष्ठभूमि में बचपन बीता, इनके पिताजी न्यूज एडीटर हैं,और माँ गृहणी रही है। 

इन्होंने बचपन से ही गरीबी के हर रुप को देखा है, परखा है, गरीबी के हालातों के बीच ही बचपन बीता। 

गुरी की प्राथमिक शिक्षा और स्कूली शिक्षा जालंधर के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करके हुई है, बचपन से सभी को कुछ ना कुछ बनने का और कुछ करने का शौक जरुर होता हैं। 

ऐसे ही गुरी की दिलचस्पी क्रिकेट में रही,हमेशा से ही इन्हें क्रिकेट में ही अपना भविष्य दिखाई देता था। 

ये क्रिकेट खेलते रहे और समय के साथ-साथ ही कुछ ना कुछ परिवर्तन होते ही रहे। शुरु से ही गुरी भी अपनी डायरी में दिल की बातें, कविताएं ऐसा कुछ लिखा करते थे। मैच प्रेक्टिस के दौरान ये अक्सर गाने सुना करते थे। 

उस समय 12वीं पास होने के बाद क्रिकेट खेलने की वजह से स्पोर्ट्स कोटे में इनका चयन जालंधर के ही डीएवी काॅलेज में हो चुका था, जहाँ से इन्होंनें एम.ए., बी.एड. की डिग्री हासिल की। 

और तब तक ये स्टेट लेवल के खिलाड़ी बन चुके थे,और इन्होंने लगातार पाँच सालों तक स्टेट लेवल का क्रिकेट खेला। 

परिवार चाहता था, कि पारिवारिक स्थिती को देखकर ये क्रिकेट छोड़कर कहीं स्कूल या काॅलेज में नौकरी कर लें। 

ताकि आर्थिक रुप से परिवार को मदद मिल सके। 

लेकिन कहते हैं, ना कि भाग्य तो पहले ही लिखा जा चुका होता है। 

उसी समय गुरी के एक मित्र जिनके पिताजी श्री रोशन जी चीमा, तब एक गाने के लिरीक्स लिख रहे थे। तब उन्होंने गुरी से बात की, तब ही श्री चीमा के साथ गुरी का पहला गाना बापू आया जिसमें गायक (गेरी संधु, विक चीमा, और आर. चीमा) थे। जो गाना हिट रहा, यह गाना गेरी संधु की कम्पनी फ्रेश मीडिया में आया। जिसको संगीत डॉ. श्री ने दिया था, और गुरी को यहां से पहला मौका मिला। 

फिर समय की रफ्तार कहाँ रुकने वाली थी, समय बीतता रहा, गुरी काॅलेज खत्म होते ही पारिवारिक आर्थिक कमजोर स्थिति को देखते हुए एक फैक्ट्री में काम करने लगे, कभी डबल शिफ्ट में भी काम किया। 

दो साल लगातार काम करते रहे, समय मिलने पर लिखा भी करते थे। फैक्ट्री में काम करने के दौरान ही गुरी अपने मित्र डॉ. श्री से मिलने जाया करते थे। डॉ. श्री जो स्वयं म्यूजिक से जुड़े है, तब डॉ. श्री गुरी को बहुत प्रोत्साहित किया करते थे। गुरी को कम्पोज करना, लय, ताल सीखाने में मदद किया करते थे। 

तब दोनों मिलकर संगीत को समय देनें लगे और सोचा की अब संगीत जगत में ही काम करना चाहिए। 

सन् 2017 के समय जब गुरी लिखते थे, अक्सर अपना लिखा गाना गा कर वाॅइस नोट में सुरक्षित कर लिया करते थे। ताकि भविष्य में वो धुन या शब्द भूल ना सके। 

फैक्ट्री में काम करते-करते ही सन् 2018 के समय गुरी की जिंदगी में एक बेहद महत्वपूर्ण और खूबसूरत मोड़ आया जहांँ इनका लिखा गया एक गाना मेरे वाला सरदार मील का पत्थर साबित हुआ। 

वक्त बीतता गया, और गाने आने लगे और लगातार सुपरहिट होते रहे। 

अब तक 

मेरे वाला सरदार 

मेरे वाली सरदारनी 

जट्टी दे ख्याल 

जट्टा तेरी केयर 

संजोग

सिंगल 

के मिलियन व्यू रहे। 

गुरी ने जिन हालातों से उठकर मेहनत की, वो वाकई तारीफ के लायक ही है। 

      गुरी हमेशा भगवान और परिवार वालों का साथ सबसे जरुरी मानते हैं। 

गुरी का मानना है कि उतार-चढ़ाव तो सभी के जीवन का एक अभिन्न अंग है, वो ना हो तो जीने का कुछ मजा ही नहीं है। 

गुरी के गानों ने टिकटाॅक पर धूम मचा रखी थी, जिसमें कुछ लाईनों के व्यू मिलियन में रहे ।

जिसमें मेरे वाले सरदार का – 

गुरी तेरे जेहा होर ना कोई मिलेया

ना ही तेरे जेहा मिलेया प्यार वे।

***

मेरे वाली सरदारनी की लाइन – 

चुन्नी सिर उत्थों लथडन तो रेंहदीं डर दी, मैनूं मान बड़ा होंदा जदो नाल खड़दी, गुरी नाम नाल नाम ऐसा जुड़िया नाम लेंदिया ही ओंदीं आ बहार नी।

***

और अब इनके गानों ने इंस्टाग्राम पर कमाल किया हुआ है। 

जिसमें मेहताब विर्क के गाने संजोग लाईन – 

इक मीठा मीठा बोल्लियां चों नाम सुनेया नाम सुनेया मैं गुरी गुरी करके, तेरे ते क्रश सिगा मेरा सोहणीये।

मैनु नहीं पता सी के तू वाइफ बनने, अधूरे रहे चाह अज्ज तक मेरे नई, मैनु नहीं पता सी के तू लाइफ बनने।

 ***

सिंगल गाने की लाईन – 

गुरी हाँ वे कित्ती जद मैनू फोन उत्थे, तेरी चाईं चाईं होगी सारी सोहणिया, जे तू मैनू पूछे तेरे दिल विच की, मैं आखूं तेनु यारी तेरी सोहनिया।

***

जट्टी दे ख्याल –

हो गुरी दो दिन रह गये आ व्याह नू   हो जट्टी जीत गई तेनु हूंण पाके

हो तेरे-मेरे नाम वाला सजना, मैं बैठ गयी हाँ चूड़ा हूंण पाके।

***

जट्टा तेरी केयर – 

जट्टा तेरी केयर करदी

तू मेरे दिल वाली डोर उत्थे बे गया ऐ।

***

जो लोग पहले कुछ और कहा करते थे, और आज वही तारीफ करते रहते हैं। 

लोगों की राय जो वक्त के साथ बदली है, 

वो इनकी कामयाबी से ही बदली है। 

गुरी बताते हैं, उनकी माँ ने हमेशा सीखाया है, कि वक्त, हालात और भगवान पर अटूट विश्वास कभी हारने नहीं देता, ईमानदारी, कर्म और धर्म से ही मनुष्य का जीवन है। गुरी जो लिखते हैं, वो भगवान की ही कृपा है, वे जो सफलता को हासिल कर रहे हैं, वह सभी भगवान का आशीर्वाद स्वरुप है। 

अब गुरी लगातार अपने काम पर ध्यान दे रहे हैं। 

जिसमें, शब्दों की गहराई, नए शब्दों पर काम, ओर कम्पोजिशन पर विशेष काम कर रहे हैं। जिससे वे शब्दों को खूबसूरती से सजाने की कोशिश करते हैं। 

गुरी अपने गानों में हमेशा उन शब्दों को या उन बातों को लिखना ज्यादा पसंद करते हैं, जिसे हर कोई आसानी से समझ सके, ओर वह उन गानों से लगाव महसूस कर सके। 

वह कामयाबी का श्रेय भगवान को और अपनी मेहनत को देते हैं।

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