ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया में हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है। पर यदि महिला कदम से कदम मिलाकर साथ दे, तो वह पुरुष कामयाबी के हर शिखर को छू सकता है।
हम बात कर रहे हैं, क्षितिज पंवार जी की, जिन्होंने एक मल्टीनेशनल कम्पनी में से नौकरी छोड़ अपने सपने एक्टिंग को चुना।
क्षितिज का जन्म 29 फरवरी सन् 1979 को मध्यप्रदेश इंदौर में हुआ। माताजी ओर पिताजी दोनों नौकरीपेशा रहे, तो परवरिश एक सम्पन्न परिवार में हुई।
पढ़ाई में भी क्षितिज होशियार रहे, स्कूल और काॅलेज के समय से क्रिएटिव फिल्ड में जाना चाहते थे, पर सबसे पहले अपने भविष्य को सुरक्षित करने के बाद।
स्कूली शिक्षा ओर काॅलेज इंदौर से ही हुआ, यहीं के निजी काॅलेज से एमसीएम (मास्टर्स ऑफ कम्प्यूटर मैनेजमेंट) में की, और पढ़ाई पूरी होने के साथ इनका सिलेक्शन काॅलेज कैम्पस में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में हो गया।
भारत की एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी लगने के बाद भविष्य तो सुरक्षित था, पर मन में संतुष्टि नहीं थी।
जो सुकून मिलना चाहिए था, वह नौकरी में नहीं मिल पा रहा था। नौकरी के चलते कई मेट्रो सिटीज में भी रहे और नौकरी में बदलाव तथा पदोन्नति भी करते रहे।
इन सब के बीच सन् 2005 में इनकी शादी डॉ. हिमांशी से हो गई। अपनी लगातार नौकरी के साथ अब क्षितिज ने एडवर्टाइजिंग कम्पनी के साथ में काम किया, फिर धीरे-धीरे अभिनय की तरफ मन लगने लगा।
अभिनय जगत में इन्हें गाइड करने वाला कोई नहीं था,
सबकुछ अकेले ही करना है, ओर वह भी रिस्क ले कर क्योंकि अब शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारी आने लगी थी।
अब समय बीतने के साथ सन् 2014 के करीब ऐसा लगने लगा था, कि नौकरी में घुटन होने लगी है, तब इन्होंने अपने मन की बात अपने परिवार ओर अपनी धर्मपत्नी के सामने रखी कि मुझे आप बस कुछ समय अपने लिए दे दिजीए।
मेरा सपना हे ,अभिनय का बस एक बार वह साकार करने का मौका दे दिजीए, यदि नहीं सफल रहा तो फिर अपनी नौकरी के साथ खुश रहने की कोशिश करूंगा, बस एक बार कोशिश करना चाहता हूँ।
क्षितिज की यही बात मानकर इनके परिवार ने इन्हें एक साल का समय दिया और ये अब बढ़ने लगे थे, अपने सपने की तरफ।
परिवार ने समर्थन, आशीर्वाद दिया, ओर फिर क्षितिज अब मुंबई आ गए। नया शहर, अभिनय की दुनिया में कोई जान-पहचान नहीं थी, बस सपना ले कर चल रहे थे।
प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाना, रोज ऑडिशन देना, बस ट्रेनों में दिनभर सफर करना। कभी पैसों की बचत के लिए, तो कभी रहने के लिए मशक्कत करना।
रिजेक्ट होना, यह सिलसिला चल रहा था। घंटों ऑडिशन के लिए इंतजार करना, कभी लगता कि आज सिलेक्शन हो जाएगा, पर रिजेक्शन हाथ आता।
इन्हीं सब के बीच रिश्तेदारों के तानें मिलते थे, कि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर एक उम्र का पड़ाव पार कर अब हीरो बनने चला है।
लेकिन उनकी धर्मपत्नी ढाल बनकर हमेशा उनके साथ खड़ी रही, सबकी बातों को सुना और जवाब इन्होंने नहीं बल्कि इनकी सफलता ने दिया। परिवार ने संबल दिया, कभी कुछ नकारात्मक विचार नहीं आने दिए।
बिना बैकग्राउंड के चलते यह मेहनत कर रहे थे, अनुभव से इस विधा की बारिकियों को सीखा, कभी किसी से बात तो कभी उनके हाव-भाव से कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करते रहे।
ऐसा सब-कुछ चल रहा था, पर एक्टिंग स्किल अच्छी थी, तो इन्हें मौका भी जल्दी ही मिल गया।
पहला मौका इन्हें “मैं ना भूलूंगीं” सीरियल में एक छोटे किरदार से मिला।
इनके अभिनय, संघर्ष के चलते इन्हें उसी के बाद सबसे अच्छा और देश के एक बड़े राजश्री प्रोडक्शन हाउस में मिला, जिसकी फिल्म प्रेम रतन धन पायों में इन्होंने सलमान खान के दोस्त की भूमिका को निभाने का अवसर मिला।
यह इनके जीवन का एक सुनहरा अवसर था, जिसके बाद इनके अभिनय को देखते हुए इन्हें लगातार काम मिलने लगे थे। बड़े पैमानों पर सीरियल, विज्ञापन, वेब सीरीज इन्हें लगातार मिलने लगी।
उसी के बाद इन्हें हाॅलीवुड की फिल्म होटेल मुम्बई में भी काम करने का मौका मिला, जिसका निर्देशन एंथोनी मार्स ने किया था।
बाॅलीवुड में भी इन्हें लगातार काम मिल रहा है, प्रेम रतन धन पायों, यंगिस्तान, और मुद्दा राॅकेर्टी में भी हिस्सा रहे।
जिसमें इनका अभिनय बहुत सराहा जा रहा है।
अब क्षितिज के बढ़ते प्रभाव से रिश्तेदारों के ताने तारीफ में बदलने लगे, और परिवार वालों को अपने दिए मौके पर गर्व महसूस होने लगा।
इन सब के बीच डॉ. हिमांशी ने जो क्षितिज को हिम्मत और सहारा दिया, वह एक हमसफर के रुप में अतुलनीय है, चाहे वह इनके रिजेक्शन का समय हो या, कामयाबी हासिल करने का सभी मौकों पर हिमांशी साथ रही।
अब क्षितिज टीवी के साथ वेब सीरीज का भी हिस्सा बनने लगे जिसमें सीक्रेड गेम्स, मुम्भाई, फैलेश(स्वरा भास्कर) के साथ, कर ले तू भी मोहब्बत, दलाल स्ट्रीट जैसी सीरीज
की।
इतनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भी ये हमेशा अपने परिवार के साथ समय बिताना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।
ये अब एक बेटी के पिता बन चुके है, ओर अपनी बेटी के सामने एक मिसाल पेश करना चाहते हैं, कि जज़्बा, सपना और हिम्मत हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती हैं। बेटी के लिए एक आदर्श पिता बनने की कोशिश करते हैं। और आत्मसम्मान व आत्मविश्वास की एक मिसाल पेश करना चाहते हैं।
एक लंबे अरसे के परिश्रम के बाद जो कामयाबी का स्वाद चखा है, उसको हमेशा बरकरार रखने की कोशिश करते हैं, अपनी कामयाबी का श्रेय भगवान, अपने माता-पिता और धर्मपत्नी को देते हैं।
क्षितिज हमेशा यह मानते हैं, कि संघर्ष तो हर क्षेत्र में करना है, चाहे नौकरी हो या कुछ ओर।
पर जहांँ मन को संतुष्टि हो, वहाँ संघर्ष हमेशा सफल होता है, अपने काम के लिए ईमानदारी सबसे ज्यादा जरुरी होती है।
प्रसिद्धी पाना ही सबकुछ नहीं होता है, उससे भी ज्यादा खुश रहना महत्वपूर्ण है। आत्मसंतुष्टि से बड़ा संसार में कोई धन नहीं है।
क्षितिज ने कई सीरीयल में भी काम किया, जिसमें कुंडली भाग्य, तेनालीरामा, मेरे सांई, सात फेरो की हेराफेरी, गुड़िया हमारी सभी पर भारी शामिल रहे।
इन्हीं सब के बीच इनका लगाव थियेटर से भी बढ़ता गया, एक्टिंग की छोटी-छोटी बातें और काम करने के तारीको को भी सीखने का मौका मिला।
ये कभी भी कुछ भी सीखने के मौके को गवाना नहीं चाहते, यहाँ तक कि अपने आसपास के माहौल से भी सीखते रहते हैं।
थियेटर में इन्होंने पृथ्वीराज चौहान, में पृथ्वीराज चौहान की भूमिका को निभाया जिसमें इन्होंने उस किरदार को जीवंत कर दिया था। पद्मावती, ओर महाराणा प्रताप में भी मुख्य भूमिका निभाई।
अब ये एक्टिंग की होने वाली वर्कशॉप का भी हिस्सा बनते हैं, ओर वहाँ अभिनय सीखते और सीखाते हैं।
एक्टिंग की दुनिया में जो मध्यप्रदेश का नाम रौशन किया है, और जो चिंटू इंदौरी बनकर सोशल मीडिया पर हंसी-खुशी का जो तड़का लगाते हैं। वह गमगीन माहौल को भी खुशनुमा बना देता है।