मालवी भाषा ओर उसकी मीठास ही मेरी पहचान है।- सचिन पटेल

आजकल इंस्टाग्राम के विडियो में हम बहुत से विडियो बनाने वालों को देखते हैं लेकिन अपने क्षेत्र की मालवा की भाषा, मालवी में यहाँ के प्रचलित शब्दों के साथ हंसी-मजाक के वीडियो बनाकर प्रसिद्ध होने वाले व्यक्ति बहुत कम होते हैं।

आज हम एक ऐसे युवा से बात कर रहे हैं जिसने अपने खुद के लिए विडियो बनाना शुरु किया, जिसको देखकर लोग हंसते थे कि ये क्या करता रहता है पर उसने अपने काम से लोगों की सोच को बदल दिया है।

हाँ , जी ..तो हम आज बात कर रहे हैं सचिन पटेल जी की, जिनका जन्म 2 मार्च 1995 को देवास के पास गांव अगोली में हुआ।

      सचिन ने अपने गांव से ही 12 वीं तक की पढ़ाई की व उसके बाद अलग-अलग जगहों पर नौकरी करना शुरु कर दिया था। जिसमें इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी जैसी जगहों पर लगभग 3 सालों तक काम किया जिस वक्त सचिन ने काम को शुरु किया था उस वक्त 20 रुपये प्रतिदिन से काम किया करते थे। लेकिन काम करना था, कुछ शुरु करना था तो जो काम मिला उसे करना चालू कर दिया था। 

इन्होंने एक वक्त यूट्यूब पर विडियो देखकर खुद विडियो बनाने का सोच लिया था लेकिन काम करना भी जरुरी था तो सचिन ने जब विडियो बनाने की शुरुआत की थी उस वक्त इनके विडियो बनाने के समर्थन में कोई नहीं था पर अब सब खुश होते हैं, पहले लोग कहते थे कि कहीं नौकरी कर लो, कुछ  काम कर लो। 

एक वक्त पर सचिन ने जब कारपेंटर का काम शुरु किया था उस वक्त सुबह 8 बजे के पहले विडियो बनाते थे और 

जब रात को घर 9 बजे आते तो विडियो को एडिट कर अपलोड कर देते थे। 

     दिन भर काम में व्यस्त रहने की वजह से ये काम करते वक्त ही काॅन्टेंट पर भी विचार करते रहते थे क्योंकि अलग से कोई टाईम नहीं मिल पाता था। आज भी सचिन अपने आस-पास के किरदारों से ही, हकीकत के किस्सों से ही कुछ नया जनता के बीच लेकर आते हैं। 

उस वक्त इन्होंने एक साथ अपने दोनों कामों को जारी रखा क्योंकि विडियो सचिन का शौक था ओर काम करना ज़िम्मेदारी थी। दोनों को ही छोड़ने का ना मन था ओर ना ही स्थिति वैसी थी। 

सचिन बताते हैं कि गांव वालों ने ताने देने में कोई कसर नहीं छोड़ी पर मैंनें उनकी बातों को अनसुना कर उन्हीं की बातों में से किस्से निकाल – निकाल कर विडियो बनाएं हैं। 

     जब मैंनें अकेले चलना शुरू किया, उस वक्त सोच लिया था कि कोई साथ हो ना हो, पर मुझे खुद को लोगों से अलग  दिखाना है । मैं अपने साथ हूँ इससे ज्यादा ओर कुछ आवश्यक नहीं है। 

     सचिन ने जब मालवी में विडियो बनाएं तब इनको लोगों से खासकर युवाओं से बहुत प्रेम मिला क्योंकि युवा उन बातों से उन पारिवारिक किस्सों से जुड़ने लगे थे। 

सचिन वैसे तो कृषक परिवार से संबध रखते हैं व खेतों, गाँव, गायों के बीच ही खुशी पाते हैं कुंए के पास विडियो बनाने पर जो खुशी मिलती है वह कहीं ओर नहीं मिल सकती है। सचिन खुद को भविष्य में विडियो को लेकर बहुत अच्छा काम करना चाहते हैं। 

     सचिन हमसे बातचीत के दौरान बताते है कि इतना आसान नहीं था इतने छोटे से गांव से निकल कर विडियो बनाना व विडियो बनाने के बाद हर विडियो पर लोगों का इतना प्यार मिलना बहुत बड़ी बात होती है। ताने तो लोग आज भी देते हैं पर जब उनको आय दिखती है लोगों का प्यार दिखता है, तो अब किसी के नज़रिये से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। 

इस दौरान ही सचिन ने बताया कि सभी अपने जीवन से बहुत परेशान है कोविड के बाद अवसाद ज्यादा होने लगा है जिसके लिए मैं ऐसे विडियो बनाता हूँ कि लोगों को हंसी आए वो खुश हो जाए ओर कहीं ना कहीं मेरी विडियो को कोई देखकर मुस्कुराता है तो मुझे लगता है मेरी मेहनत सफल हो गई है। 

सचिन हमेशा मान- सम्मान के साथ काम करना चाहते हैं, जिससे समाज में उनके परिवार की मर्यादा बनी रहे। 

प्रसिद्धी के लिए अपने मर्यादा को भंग नहीं करना चाहिए। 

    इनका मानना है कि व्यवहार हमेशा सभी से बनाने की कोशिश करना चाहिए क्योंकि लोगों से बात करके ही उनसे नए शब्द, विचार व कुछ ना कुछ सीखने को मिल ही जाता है। 

सचिन भविष्य में जाकर दुसरे लोगों को भी काम देना चाहते हैं जिससे उनको भी आय व प्रसिद्धी प्राप्त हो सके। 

   लोग अब साथ जुड़ने लगे हैं, साथ चलने लगे हैं लोग अब विडियो के शौक उसमें छुपे भविष्य को भी समझने लगे हैं। 

जो बच्चे, युवा मोबाइल तो चला रहे हैं पर उनको उसी से जोड़कर रोज़गार की तरफ मोड़ना चाहता हूँ जिससे उनको जीवन यापन में सरलता प्राप्त हो, वे आगे की पढ़ाई भी आसानी से कर पाएं। 

सचिन अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन टीम को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं सभी के साथ काम करना आसान हो जाता है। नई सोच, नए तरीके से काम करने के लिए सभी के साथ चलना चाहते हैं। 

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