हमारे मोहल्ले में होने वाले नवरात्रि, गणेश पर्व के समय जो कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिनमें कुछ प्रतिभाएं उभर कर आती है।
और उन ही प्रतिभाओं को सही दिशा में राह मिलने लगे तो वह देश दुनिया में अपने शहर ओर परिवार का नाम रोशन कर सकती है।
आज हम बात कर रहे हैं, उज्जैन के युवा मंदीप गेहलोत जी की जिनके जीवन की शुरुआत ऐसे ही मोहल्ले के कार्यक्रमों से हुई।
आज वे बाॅलीवुड में लगातार 15 सालों तक काम करते हुए, अपने डांस का जलवा बाॅलीवुड ओर देश दुनिया में बिखर चुके हैं।
मंदीप का जन्म 3 दिसंबर सन् 1985 को उज्जैन में हुआ, बचपन से ही इन्हें डांस का बहुत शौक रहा।
लेकिन सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार होने की वजह से पढ़ाई करने ओर नौकरी कर परिवार को आर्थिक रुप से मदद करने का सपना था।
जब मोहल्ले में नवरात्रि ओर अन्य आयोजन होते तब मंदीप के डांस को वहाँ बहुत सराहा जाता था।
मोहल्ले वाले इन्हें उस वक्त प्रोत्साहित करते कि जब डांस अच्छा करते हो, तो तुम्हें इसी में आगे भविष्य बनाना चाहिए।
बस उसी बात को ध्यान में रखकर इन्होंने सन् 2002 के करीब अपने शहर की एक डांस एकेडमी में प्रवेश ले लिया, ओर डांस के लिए स्वयं को समर्पित करने लगे।
उस वक्त डांस सीखते-सीखते, इन्होंने कुछ छोटे-छोटे शो करना शुरु कर दिए, ओर उन्हें जारी रखा। क्योंकि कुछ पैसे उससे आ जाते थे, साथ ही स्टेज पर अभ्यास भी हो जाती थी।
पढ़ाई के साथ, डांस को जारी रखना मुश्किल हो रहा था, पढ़ाई में मन कुछ ज्यादा नहीं लगता था। इनका सारा समय डांस के अभ्यास करने में ही निकल जाता था।
भविष्य को लेकर जब ये सोचते तब यही लगता, कि यहाँ इनका कोई भविष्य नहीं है, सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई जाना ही होगा।
वहीं सन् 2004 के करीब अपनी किस्मत को आजमाने के लिए इन्होंने ओर इनके कुछ साथियों ने सपनों के शहर मुंबई जाने का मन बना लिया।
परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, फिर भी इनके परिवार वालों ने इनको कभी डांस के लिए मना नहीं किया, हमेशा साथ दिया है।
कुछ दोस्तों के साथ ये मुंबई के लिए चल दिए, मुंबई पहुंच तो गए। कोई जान पहचान नहीं, कोई काम नहीं, बस उम्मीदें साथ थी। वहाँ जाकर रहने, खाने, ओर मूलभूत सुविधाओं के लिए मुश्किलें हो रही थी।
हर किसी के लिए संघर्ष करना आसान नहीं होता, यहाँ भी ऐसा कुछ हुआ इनके सभी दोस्त वापस घर को आ गए।
लेकिन मंदीप ने संघर्ष करने की ठानी ओर कभी रेल्वे स्टेशन पर रात गुजारी तो कभी वडापाव खाकर दिन गुजारे।
संघर्ष के दिनों को अपने भविष्य की राह मानकर, मुस्कुराकर वक्त बिताते रहते। घंटों काम की तलाश में भटकते रहते कहीं जाना होता तो, पैदल चलकर जाते, हौंसला रखा ओर काम की तलाश लगातार जारी रखी।
बस ऐसी ही काम की तलाश करते हुए ये वहीं के नटराज हाॅल पहुंच गए, जहाँ लोगों को डांस करता देख इन्होंने बताया कि ये भी डांसर है, ओर उनसे बात की उन्होंने फिर इनके डांस को देखकर अपने ग्रुप में रख लिया। इनके लगातार अच्छे डांस को देखते हुए इनको कुछ समय बाद असिस्टेंट बना लिया गया।
अब ये वहाँ बच्चों को डांस सीखाते, खुद रिहर्सल करते, ओर ग्रुप के साथ शो के लिए जाने लगे। दो सालों तक इनके साथ ही काम किया। अब कुछ आमदानी होने लगी तो, रहने ओर खाने की ठीक-ठीक व्यवस्था हो गई थी।
सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी इनके एक दोस्त की सलाह पर इन्होंने बाॅलीवुड की एक डांसर जोड़ी (सुमित- विनोद) को ऑडिशन दिया ओर सिलेक्ट होने पर ये उनको असिस्ट करने लगे। ओर फिर इन्होंने सन् 2006 से सन् 2014 तक इनके सुमित – विनोद के साथ ही काम किया।
डांस को लेकर इन्होंने देश – विदेशों की कई यात्रा की, जिसमें दुबई, आस्ट्रेलिया,लंदन, बैंकाॅक, बाली, सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग ऐसे कई देशों में शो किए।
अब आर्थिक रुप से ये मजबूत होने लगे ओर परिवार की स्थिति भी ठीक होने लगी थी, सभी सपने सच होते नजर आने लगे थे।
इन्हीं सभी के साथ ये बुगी – वूगी जैसे प्रसिद्ध शो का भी हिस्सा रहे।
इन्होंने सीरीयल दिल दोस्ती डांस में ओर बेस्ट फ्रेंड फाॅर एवर में अभिनय भी किया।
कॅरियर डांस शो, असिस्ट करना, बैक डांसर काम करना इन सब के बीच चल ही रहा था।
उसी के बाद इन्होंने दबंग मूवी में सलमान खान को असिस्टेंट कोरियोग्राफर बनकर डांस सीखाया, आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला, ओर भी कई फिल्मों में कोरियोग्राफ किया।
बाॅलीवुड के बड़े-बड़े सितारों को डांस सीखाया है।
सबकुछ अच्छा चल रहा था, कॅरियर भी उड़ान भर रहा था।
पर एक दिन मंदीप रेल्वे स्टेशन गए थे, वहाँ अकेले बैठे थे, अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मन में विचार आया कि मैं तो मुम्बई आ गया, मेरे सपने पूरे हो रहे हैं, पर मेरे शहर के बच्चों के सपनों का क्या होगा? जिनका सपना डांसर बनने का होगा?? क्या मैं उनके लिए कुछ कर सकता हूँ??
बस यही बात सोचकर ये सन् 2020 के समय आगे बढ़ता कॅरियर, ओर बाकी सबकुछ छोड़कर वापस अपने शहर लौट आए।
अब अपने शहर के बच्चों के सपनों को पूरा करने लिए एक डांस स्टुडियो की शुरुआत की, जिसका नाम मेंडों फिटनेस स्टूडियो रखा।
बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए ये उन्हें डांस में महारथ हासिल करने व उनके पंखों को उड़ान देने की कोशिश कर रहे हैं।
मंदीप बताते हैं कि उस वक्त खुद पर विश्वास ओर पीछे पलटकर नहीं जाने की जिद्द की वजह से ही इन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।
अपनी सफलता का मूलमंत्र यह सबसे महत्वपूर्ण व्यवहार, लगन, मेहनत, ईमानदारी को मानते हैं, जिसकी वजह से ही ये सफल हो सके है।
छोटे से बच्चे से भी सीखने की आदत होना चाहिए। समय की कीमत, ओर जिन हालातों और बुरे दिनों से निकले है, उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए।
वक्त जैसा भी हो, निकल जरुर जाएगा, यदि किसी सपने को पूरा करने लिए कदम आगे आए हैं, तो उन्हें पीछे करने की सोचना भी नहीं चाहिए।
क्योंकि कब जीवन में काश साथ चलने लगे, पता नहीं चलता।
इसलिए सपनों को कभी मत छोड़िए और हमेशा आगे बढ़कर सफलता को प्राप्त करें l